नई दिल्ली। ‘देवदास’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘पद्मावत’ और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी फिल्में संजय लीला भंसाली को निर्माताओं से एक अलग लाइन में खड़ा करती हैं। उनकी मेहनत, कहानी, किरदार और उनपर किया गया काम फिल्म में साफतौर से झलकता है। आलीशान और भव्य सेट्स, पोशाकें, कारीगरी भरी डिटेलिंग, लाइटिंग, इंटेंस स्टोरीटेलिंग का माहौल उनकी फिल्मों की खासियत है। अब संजय लीला भंसाली अपनी पहली बेव सीरीज ‘हीरामंडी’ के जरिए डिजिटल डेब्यू करने जा रहे हैं।
क्या है हीरामंडी से जुड़ा इतिहास?
बीते कल ‘हीरामंडी’ की पहली झलक सामने आ गई है, जिसके बाद यह काफी ज्यादा चर्चा में आ गई है। ‘हीरामंडी द डायमंड बाजार’ जल्द ही नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी लेकिन क्या आप असल हीरामंडी की दुनिया के बारे में जानते हैं? जिसका कनेक्शन पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी जुड़ा हुआ है। यही वो हीरामंडी है जिसपर संजय लीला भंसाली सीरीज लेकर आ रहे हैं।
पाकिस्तान के लाहौर में एक रेडलाइट एरिया को ‘हीरामंडी’ के नाम से जाना जाता है। इस जगह को ‘शाही मोहल्ला’ भी कहा जाता है। जहां की तवायफों का जिक्र दुनियाभर में किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सिख महाराज रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह ने यहां अनाज मंडी शुरु की थी। ऐसे में मंत्री हीरा सिंह के नाम पर ही इस इलाके का नाम हीरामंडी रखा गया। बंटवारे से पहले के इस जगह के किस्से आज भी चर्चा में रहते हैं। कहा जाता है कि इस कोठे पर अफगानिस्तान से लेकर उज्बेकिस्तान तक की खूबसूरत बालाएं रहती थीं। ये उस समय की बात है जब तवायफों के पेशे को बुरा नहीं माना जाता था।
‘हीरामंडी’ की महिलाएं कला, नृत्य और संगीत में काफी पारंगत रहती थीं और वह इसका प्रदर्शन केवल नामी राजा महाराजाओं के सामने ही किया करती थीं। हालांकि समय के साथ सबकुछ बदलता गया और हीरामंडी की चमक फीकी पड़ती गई। हीरामंडी के मायने ही लोगों ने बदल दिए और देखते ही देखते इस जगह रहने वाली औरतों को वेश्याओं का दर्जा दे दिया गया। संजय लीला भंसाली की सीरीज का फर्स्ट लुक देखने के बाद लोग एक बार फिर उनके काम के कायल हो गए हैं और बेसब्री से इस सीरीज के स्ट्रीम होने का इंतजार कर रहे हैं।